फर्रुखाबाद में कारतूस लेने आते थे आजाद

परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी मां भारती को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले शहीद शिरोमणि चंद्रशेखर आजाद का फर्रुखाबाद से गहरा नाता था। वह यहां पर काशी नरेश से मिली माउजर पिस्टल की गोलियां (कारतूस) लेने भी आते थे। आजादी के दीवाने युवा उनके मुरीद थे।

'आजाद ही रहे, आजाद ही रहेंगे' उग्र देशभक्ति व साहस के पुरोधा चंद्रशेखर आजाद के इस नारे ने फर्रुखाबाद में अंग्रेजी खिलाफ लोगों का खूव खून खोलाया।
रामप्रसाद बिस्मिल, झारखंडे राय व अन्य क्रांतिकारियों का आश्रय स्थल रहे फर्रुखाबाद में चंद्रशेखर आजाद जब भी आते, देश के दीवाने युवा जोश से भर उठते थे। वह शाह की विश्रांत पर ठहरते। स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी लोग उनसे मंत्रणा करने पहुंचे तो देश के प्रति उनकी दीवानगी देखी युवा मुरीद बन जाते। गली गुसाई पल्ला देवी मठिया के सूर्य सहाय, खतराना के केशवराम टंडन, रामनारायण आजाद के साथ भी आजाद में स्वाघीनता के लिए रणनीति बनाई। केशवराम की सेठ गजानंद से मित्रता थी। गजानंद के पास पिस्टल का लाइसेंस था। आजाद ने पिस्टल के कारतूस की ज़रुरत बताई तो केशवराम ने सेठ गजानंद से कारतूस दिलाए। आजाद यहां से कारतूस लेने आते रहे।
कलेक्टर को पता चला तो सैठ का शस्त्र लाइसेंस जप्त कर लिया। रामनारायन आजाद उनके लिए भोजन की व्यवस्था करते थे। CID पुलिसकर्मी भोलेपुर निवासी विशेश्बर सिंह ने आजाद का पीछा किया, लेकिन को वह चकमा देकर निकल गए।

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  1. Bhut sundar blog hai ji mera bhi blog aakar dekhai
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