आदरणीय प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, सहकर्मियों और मेरे प्रिय छात्रों आप सभी को सुप्रभात!

आज हम यहां बाल दिवस के दिन इकट्ठे हुए हैं और निश्चित रूप से उन छात्रों को विशेष महत्व देने के लिए जो वे वास्तव में उसके योग्य हैं। प्रबंधन समिति ने आज किसी भी कक्षा का संचालन नहीं करने का निर्णय लिया है और सभी बच्चों को इस समारोह विशेषकर उन चीजों का आनंद लेने के लिए जिसके लिए वे यहाँ संगठित हुए है।

हम सभी जानते हैं कि हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन आप में से कितने इस दिन के महत्व को जानते हैं? उत्सव के लिए केवल इस तारीख को क्यों चुना गया है? जो बच्चें इस दिन के बारे में नहीं जानते मैं उनके चकित चेहरे देख रहा हूं तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि यह तारीख हमारे महान भारतीय राजनेता और पहले भारतीय प्रधान मंत्री यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन की तारीख है और देशभर में इसे बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उलझे होने के बावजूद बच्चों के लिए उनका अत्यधिक प्यार और स्नेह समय के साथ कम नहीं हुआ क्योंकि उन्हें बच्चों की मासूमियत बेहद आनंद देती थी। दूसरे शब्दों में बच्चें चाचा नेहरू के लिए मासूमियत, प्रेम और देखभाल का प्रतीक थे।

एक राजनीतिक नेता के रूप में भी जवाहरलाल नेहरू ने अपनी योग्यता साबित की थी और आर्थिक सुधार नीति के रूप में राष्ट्र को अपना विशेष योगदान दिया अर्थात योजना आयोग। भारत के योजना आयोग की रचना जवाहरलाल नेहरू की थी। योजना आयोग के तहत भारत सरकार अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए 'पांच साल की योजना' तैयार करती है। आयोग विभिन्न अन्य आर्थिक सुधारों की मेजबानी करता है। 8 दिसंबर, 1951 को पहली बार पंचवर्षीय योजना की शुरुआत खुद नेहरू ने की थी।

यह सिर्फ जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित किये उपक्रम की शुरुआत थी और इसके बाद नेहरु भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थापित कुटीर उद्योगों के मूल्य का एहसास करने के लिए भारत के पहले नीति निर्माता बन गए। उनके तीव्र अवलोकन ने छोटे पैमाने पर उद्योगों की वृद्धि को जन्म दिया जिसने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक आवश्यक उत्पादन क्षमता को स्थापित किया। बदले में कुटीर औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि मजदूरों को अपने लिए जीवित रहने के बेहतर स्तर के विकास के लिए समर्थन दिया। यह किसानों द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त आय के कारण हुआ।

राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र के अलावा शैक्षणिक क्षेत्र में उनके योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि उन्होंने भारतीय समाज में बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय संस्थानों की स्थापना में पर्दे के पीछे से कार्य किया जैसे हमारे पास दुनिया भर में विख्यात अखिल भारतीय संस्थान मेडिकल साइंसेज (एम्स), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) आदि हैं। शिक्षा का मूल स्तर अनिवार्य और नि: शुल्क बनाया गया। इसके अलावा वयस्क शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित किए गए थे।

नेहरु खुद एक शिक्षित व्यक्ति थे और वे शिक्षा के महत्व को जानते थे की कैसे हर भारतीय नागरिक पढ़ना और लिखना सीखेगा जिससे हमारे देश का चेहरा बदल सकता है। समकालीन भारतीय गणराज्य में उनके द्वारा किए सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के निशान स्पष्ट रूप से सफ़ल दिखाई देते हैं और हमारे देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था इस वास्तविकता को रेखांकित करती है।

बच्चों मैं आशा करता हूं कि आप सभी ने चाचा नेहरू की उपलब्धियों को सुनकर आनंद लिया होगा जितना मैंने उनके बारे में बात करके लिया था। इसी के साथ मैं अपनी स्पीच का अंत करता हूं और हमारे माननीय प्रधानाचार्य को कुछ शब्द कहने का अनुरोध करता हूं ताकि इसके बाद के कार्यक्रमों को शुरू किया जा सके।

धन्यवाद।